कम्पोजीशन जीएसटी Vs रेगुलर जीएसटी

जीएसटी में, मुख्य रूप से दो प्रकार के पंजीकरण होते हैं:-

1. नियमित जीएसटी पंजीकरण:- इस प्रकार के पंजीकरण में, पंजीकृत व्यक्ति अपनी आवक (खरीद की हुई) आपूर्ति पर भुगतान किए गए जीएसटी का क्रेडिट (जिसे आईटीसी या इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में जाना जाता है) ले सकता है और उसके द्वारा बेचे जाने वाली आपूर्तियों पर लगने वाले जीएसटी की देयता के लिए उपयोग कर सकता है।

2. कंपोजीशन जीएसटी पंजीकरण:- इस प्रकार के पंजीकरण में, पंजीकृत व्यक्ति अपनी आवक (खरीद की हुई) आपूर्ति पर भुगतान किए गए जीएसटी का क्रेडिट (जिसे आईटीसी या इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में जाना जाता है) नहीं ले सकता है और उसके द्वारा बेचे जाने वाली आपूर्तियों पर लगने वाले जीएसटी की देयता के लिए उपयोग नहीं कर सकता है, हालांकि इसके अलावा उसे उसके द्वारा बेची गई आपूर्ति के ऊपर एक निश्चित राशि का भुगतान भी करना पड़ता है, जो कि GST के रूप में बेचे गए माल के टर्नओवर का 1% है, लेकिन इस राशि को अपने ग्राहकों से बिलों में वसूल नहीं कर सकता है।

इसलिए हम यहां चर्चा कर रहे हैं कि उपरोक्त दोनों में से कौन सा पंजीकरण फायदेमंद है?

इस प्रश्न का जवाब जानने के लिए निम्न उदाहरण पर गौर करते हैं -

माना कि एक कम्पोजीशन जीएसटी पंजीकृत कारोबारी का मेडिकल स्टोर है जोकि रिटेल में ग्राहकों को दवाइयां बेचता है और वह जो दवाएँ खरीदता है उनमे से कुछ दवाओं पर 5% जीएसटी व अधिकतर पर 12% जीएसटी दर है और यह मानते हैं कि औसतन 10% जीएसटी है.

किसी वित्तीय वर्ष में उसने रु.1 करोड़ की दवाइयां खरीदी जिन पर उसने 10% जीएसटी (रु.10 लाख) अदा किया व उसने दवाइयां रु.1.40 करोड़ में बेची व इनवॉइस में जीएसटी चार्ज नहीं किया लेकिन सरकार को उसका 1% यानि रु.1,40,000 दिया. इस तरह उसके कुल लाभ में से जीएसटी रु.11,40,000 {10,00,000 + 1,40,000} कम हो गया यानि रेगुलर जीएसटी पंजीकरण ले तो उसे नुकसान नहीं हो.

भारत में कम्पोजीशन जीएसटी पंजीकरण कराने वाले कारोबारी बहुत कम है क्योंकि इन कारोबारियों का मुनाफा उतना ही कम हो जाता है जितने जीएसटी का वे उनकी खरीद व बेचने पर भुगतान करते हैं, यानि उनको इस योजना से उन्हें घाटा होता है। इसलिए कम्पोजीशन जीएसटी पंजीकरण नहीं कराना चाहिए, क्योंकि इससे कारोबारी को उसके ख़रीदे व बेचे गए माल पर जीएसटी राशि का लाभ कम हो जाता है।

इस तरह, कम्पोजीशन जीएसटी का पंजीकरण करवाने से मुनाफा कम हो जाता है, इसलिए अधिकतर कारोबारी रेगुलर जीएसटी पंजीकरण लेते है जिससे खरीद-बेच के जीएसटी का नुकसान न हो।

 

 

 

 

आईटीसी रिवर्स यदि वस्तु परिवहन के दौरान खो जाए

प्रश्न - क्या आईटीसी रिवर्स करना होगा यदि वस्तु परिवहन के दौरान प्राप्तकर्ता तक पंहुचने से पहले खो जाए/ख़राब/ख़त्म/चोरी हो जाए?

जवाब : हाँ, सीजीएसटी अधिनियम'17 की धारा 17(5)(h) के अनुसार यदि माल परिवहन के दौरान गंतव्य-स्थान (प्राप्तकर्ता) तक पंहुचने से पहले रास्ते में खो जाए/ख़राब/ख़त्म/चोरी हो जाए तो ऐसे माल पर लिया गया इनपुट टैक्स क्रेडिट रिवर्स करना होगा.

लेकिन, हाल के कोविड'19 (कोरोना वायरस महामारी) की वजह से सरकार द्वारा लॉकडाउन में ऐसे माल का ITC रिवर्स नहीं कराने की अधिसूचना जारी करनी चाहिए.

यदि सरकार कोई अधिसूचना जारी नहीं करती है और ऐसा ITC बहुत ज्यादा हो तो जीएसटी पंजीकृत व्यक्ति को विभाग के खिलाफ विवाद दाखिल कर सकता है.

 

 

 

 

वस्तु परिवहन एजेंसी (GTA)

जीटीए (Goods Transport Agency) की जीएसटी में कर-मुक्ति सीमा क्या है?

जवाब : अधिसूचना सं.12/2017-CT(Rate) दिनांक 28.6.17 के क्रं.21 अनुसार, निम्न परिस्थितियों में GTA के जीएसटी नहीं लगेगा -

1. जब एक वाहन में एक कन्साइनमेंट भेजने का परिवहन किराया रु.1500 तक हो (यानि अलग-अलग व्यक्तियों के कन्साइनमेंट एक वाहन में जाएं).

2. जब एक वाहन में पूरा माल एक कंसाईनी द्वारा भेजने का परिवहन किराया रु.750 तक हो (यानि एक वाहन में पूरा माल एक व्यक्ति को भेजा जाए).

3. कृषि उत्पाद, दूध, नमक, अनाज व आटा, दालें, चावल, जैविक खाद, अखबारों के रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत अखबार/पत्रिकाएँ, प्राकृतिक या मानव-सर्जित आपदा या दुर्घटना / मिसहैप के लिए भेजी जाने वाली राहत सामग्री, रक्षा या सैन्य उपकरण.